चारो तरफ जहरीली हवा फैली –आर के रस्तोगी
चारो तरफ जहरीली हवा फैली,अब कैसे जिया जाये ?
आँख कान अब बंद करो,जिससे ये हवा अंदर न जाये ||
जल रही है पुराली काफी मात्रा में,हरियाणा व पंजाब में |
अब तो जीना दूबर हो गया,दिल्ली व एन सी आर में ||
चारो तरफ छिडकाव हो रहा,फिर भी राहत नहीं मिलती है |
कैसे प्रदुषण से राहत मिले,राह नहीं कोई अब सूझती है ||
बंद करोगे उद्योगों को,तो देश में बेरोजगारी फ़ैल जायेगी |
मोटर गाडियों को बंद करोगे,तो जनता कैसे घूम पायेगी ?
बढ़ रही है जनसँख्या भैया,बड़े शहरों दिल्ली एन सी आर में |
कम करो जनसंख्या शहरों में,नहीं तो नैया डूबेगी मझधार में ||
धर लेगी विकराल रूप ये समस्या,इस पर अब काबू करना होगा |
फैलाये न प्रदुषण कोई भी,ये अब हर नागरिक का कर्तव्य होगा ||
क़ानून बनाओ चाहे जितने भी,इससे प्रदुषण कभी कम न होगा |
जब तक सामाजिक चेतना न आयेगी,इससे छुटकारा न होगा ||
“रस्तोगी” इस कविता के माध्यम से,देश में नई चेतना चाहता है |
प्रदुषण हो कम हमारे देश में,यही अलख वह जगाना चाहता है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)
मो 9971006425