*चारों और मतलबी लोग है*
चारों और मतलबी लोग है
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चारों और मतलबी लोग हैँ,
तमाशाई से करतबी लोग है।
देखते रहते हैँ अक्सर दूर से,
सुस्ती भरे हिरकती लोग हैँ।
रुखाई नजर नहीं स्वभाव में,
माधुर्य भरे शरबती लोग है।
जिन्दगी में मिलते नसीब से,
परख लो तजरबी लोग है।
जब से देखा इतने करीब से,
तलब से वे हसरती लोग है।
घूमते घूमंतू से हैँ मनसीरत,
मूड से वो फितरती लोग है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)