चारपाई
तुमको याद होगा
कई बरस पहले
एक चारपाई बुनी थी हमने
तुमने उस चारपाई में
चारों पाये
अपने हाथों से ठोके थे-
मैं तो बस देख रहा था तुमको
बार-बार पाये उठा कर बान डालते हुए
दूसरे छोर पर खड़े हो कर,
तुम कितनी उतावली थी
उस चारपाई को
पूरा करने के लिए
याद आया मुझे
निवाड़ भी तुमने
अपने हाथों से डाले थे।
आज मैं उस चारपाई को देख रहा था
बान के निशान
पड़ गए है उसके
बाँसों पर
जैसे प्रेम के
कुछ निशान पड़े तुम्हारे, मेरी
साँसों पर।