चारपाई
****** चारपाई *******
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चार पावों की चारपाई है,
रोग की होती वो दवाई है।
जो कभी सोते बेड अंग्रेजी,
लाख बीमारी खूब पाई है।
बाण से बनता ये बिछौना है,
खाट दो हाथों से बनाई है।
खून को होता संचरण रग में,
वायु दायक झोली झुलाई है।
यार मनसीरत खटिया तेरी,
जो खुले आंगन में बिछाई है।
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सुखविंद्र सिंह मनुष्य
खेड़ी राओ वाली (कैथल)