चारदीवारी
रखती हूं तुझे चारदीवारी में बंद
पर तू बोझ नहीं है मुझ पर
अरे तू तो है लक्ष्मी मेरे आंगन की
तू तो साक्षात देवी का स्वरूप है
तू तो मेरे पुण्य का फल है
जो आज मुझे मिला है
रखती हूं चारदीवारी में तुझे बंद
क्योंकि डरती हूं इस दुनिया से मैं
इस दुनिया में आज इंसान नहीं
इंसान के रुप में भेड़िए बसते हैं
इसलिए रखती हूं तुझे चारदीवारी में बंद
इसलिए रखती हूं तुझे चारदीवारी में बंद
रखती हूं तुझे चारदीवारी में बंद
पर तु बोझ नहीं है मुझ पर
पर तू बोझ नहीं है मुझ पर
“बेटियां ही तो हमारे जीवन की नींव होती है
अगर बेटियां ना होती तो दुनिया भी नहीं होती”