Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2024 · 1 min read

“” *चाय* “”

“” चाय “”
*********

(1) हो
गर्मी सर्दी या बरसात,
मिले ग़र साथ तुम्हारा, तो बनें बात !
तुम पूछती अक़्सर हो क्या पियोगे चाय ……,
तो, हम कहते भला कहाँ है इंकार की बात !!

(2) यूँ
तो चाय पीते ही रहते,
पर, साथ पीने का है कुछ अलग ही मजा !
जब तुम न हों घर पे और बनाएं हम चाय …,
तो,सच कहते हैं लगता मानो मिली है सजा !!

(3) कैसे
चले गए दिन वह गुजरते,
कि,पता ही ना चला कब ढल आई जीवनसाँझ!
और बैठे रहे यहाँ घंटों देखते छत दीवारों को..,
यूँ ही पीते चाय , स्मृतियों में खोए रहे आज !!

(4) बीते
दिनों की बातें करते,
स्मृतियों में उभर आती हैं व्यंग भरी वो बातें !
जिन्हें चाहकर भी हम यहाँ भूला न पाए..,
और अब इसी बहाने कट जाया करती ये रातें !!

(5) मैंने
देखा ही नहीं कभी,
ऐसा कोई पतझड़ का मौसम न करी परवाह !
रहा बस बना ज़िन्दगीभर तुम्हारा क़द्र-दाँ.,
और सदैव चाहा है तुम्हें प्रिय चाय की तरह !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
रविवार,
26 मई, 2024
जयपुर,
राजस्थान |

Language: Hindi
3 Likes · 92 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुनीलानंद महंत
View all
You may also like:
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
Vaishaligoel
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Naushaba Suriya
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
sushil yadav
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
मेरे जीवन का सार हो तुम।
मेरे जीवन का सार हो तुम।
Ashwini sharma
Hey ....!!
Hey ....!!
पूर्वार्थ
दिल लगाया है जहाॅं दिमाग न लगाया कर
दिल लगाया है जहाॅं दिमाग न लगाया कर
Manoj Mahato
सु
सु
*प्रणय*
रूठ जा..... ये हक है तेरा
रूठ जा..... ये हक है तेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
जो प्राप्त न हो
जो प्राप्त न हो
Sonam Puneet Dubey
नए दौर का भारत
नए दौर का भारत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
फिर फिर गलत होने का
फिर फिर गलत होने का
Chitra Bisht
मुफ़्तखोरी
मुफ़्तखोरी
SURYA PRAKASH SHARMA
इच्छा और परीक्षा
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
Dr fauzia Naseem shad
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
शेखर सिंह
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
आपके दिल में क्या है बता दीजिए...?
आपके दिल में क्या है बता दीजिए...?
पंकज परिंदा
भारतीय संविधान ने कहा-
भारतीय संविधान ने कहा-
Indu Singh
*BOOKS*
*BOOKS*
Poonam Matia
4407.*पूर्णिका*
4407.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"स्पीड ब्रेकर"
Dr. Kishan tandon kranti
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
DrLakshman Jha Parimal
अगर हमारा सुख शान्ति का आधार पदार्थगत है
अगर हमारा सुख शान्ति का आधार पदार्थगत है
Pankaj Kushwaha
राम रहीम और कान्हा
राम रहीम और कान्हा
Dinesh Kumar Gangwar
"समय का मूल्य"
Yogendra Chaturwedi
Loading...