* चाय पानी *
** मुक्तक **
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खत्म हो सकती नहीं है चाय पानी की कहानी।
घर कभी कोई पधारे है सभी को यह निभानी।
साथ पक्का देखिए नमकीन या बिस्किट निभाते।
फिर परस्पर खूब होती बात हर नूतन पुरानी।
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व्यक्ति अपनी ही कहानी चाय को लेकर कहेगा।
दूध बिन कोई यहां तो कोई लैमन की पिएगा।
चाय के जब रूप दुनिया में अनेकों आ गये हैं।
दूधवाली चाय का दमखम हमेशा ही रहेगा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य