चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
कभी गर्म – कभी ठंडा रंग है मेरा ,
भाप सा ही द्वंद यह,
कही चाय पत्ती तो कही यातना
सँघर्ष का मैदान यह
चाय जैसा तलब है मेरा ,
कभी गर्म तो कभी ठंडा
रंग हैं मेरा ।।
चाय जैसा तलब हैं मेरा ,
कभी गर्म – कभी ठंडा रंग है मेरा ,
भाप सा ही द्वंद यह,
कही चाय पत्ती तो कही यातना
सँघर्ष का मैदान यह
चाय जैसा तलब है मेरा ,
कभी गर्म तो कभी ठंडा
रंग हैं मेरा ।।