चाय की दुकान पर
(शेर)- हो जाते हैं दूर सभी गम, चाय की दुकान पर।
दिखती है एक जन्नत हमें, चाय की दुकान पर।।
मिलता है एक नया सुकून, चाय की दुकान पर।
आवो निकालकर समय तुम, चाय की दुकान पर।।
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मिलते हैं आज हम, चाय की दुकान पर।
करेंगे हम बातें कुछ, चाय की दुकान पर।।
मिलते हैं आज हम———————–।।
चुप ना रहो ऐसे तुम,मिलकर हमसे यहाँ।
कहो हाल अपना तुम,मिलकर हमसे यहाँ।।
तोड़ो तुम यह खामोशी, चाय की दुकान पर।
हमको मिलेगी ख़ुशी, चाय की दुकान पर।।
मिलते हैं आज हम————————–।।
मिलेंगे दोस्त पुराने, बनेंगे और नये दोस्त।
होते हैं बहुत अनमोल, जीवन में ये दोस्त।।
हम दोस्त करेंगे गपशप, चाय की दुकान पर।
अपनी सजेगी महफ़िल, चाय की दुकान पर।।
मिलते हैं आज हम————————-।।
मिलता है किसको चैन, चाय के बिना अब।
मिलती है किसको इज्जत,चाय के बिना अब।।
मिलेगी बहुत सी खबरें,चाय की दुकान पर।
लिखेंगे कुछ नये नगमें, चाय की दुकान पर।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)