चाय की चुस्की
दिन भर की थकान,
जब शाम में आई,
हौले-हौले से सुस्ती चढ़ आई,
देख हाल यूँ बेहाल,
एक कप प्याली चाय की ,
मोहब्बत से है बनाई,
करना था थकान अब दूर,
बैठ आराम से चुस्की पायी,
तत्पश्चात् स्फूर्ति जग गई,
और थकान को दूर भगाई ।
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बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।