चाय और सिगरेट
सेवा में स्कूल का, खुला हुआ था गेट।
पर बच्चे पीते मिले, चाय और सिगरेट।
चाय और सिगरेट, धुँआ भी छोड़ रहे थे।
सपनों को अय्याश, नशे में तोड़ रहे थे।
गए नशे में डूब, चखेंगे कैसे मेवा।
हे कलयुग के बाप, करो तुम इनकी सेवा।।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 02/03/2024