चादं भी कभी झूठ बोला होगा
चादं भी कभी झूठ बोला होगा,
शायद उसका मन मैला होगा,
तभी तो उसके सुन्दर मुखरे पर,
ढब्बे के ढ़ेर परे,
वह भी कभी किसी को तड़पाया होगा,
किसी का दिल दुखाया होगा,
तभी तो घटता बढ़ता है हर रोज,
हर वक्त कष्ट सहता है,
कभी तो अपने गर्व मे वह,
हसीं किसी का उड़ाया होगा,
तभी तो सुन्दर होकर भी करुप बना।