Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2023 · 1 min read

चाटुकारिता

है ये गुण या है अवगुण
साफ़ साफ़ कोई बताता नहीं
लेकिन इसके बिना आसानी से
किसी के दिल में जगह बना पाता नहीं

जब तक कहता दिन को दिन
और वो रात को रात है
साधारण लगता सब, लगता है
इसमें न कोई खास बात है

हम जैसा आम इंसान रहता
अगर सिर्फ वो सच्चाई कहता
उसने तो सीख लिया ये हुनर
अब तो वो महलों में है रहता

जादू से कम नहीं है ये हुनर
भले ही कहो इसे चाटुकारिता
उसके नज़रिए से देखो तो
वो तो कहता है इसे वाकपटुता

है ये आसान और है त्वरित
नतीजे देने वाला हुनर
हर कोई खुश हो जाता है इससे
आज़मा कर देख लो ये हुनर

जो कुछ भी कह लें हम
ये हर किसी के बस की बात नहीं
लाख कोशिश से भी किसी के कहने पर
हम तो दिन को कह सकते रात नहीं

जब बन जाता है वो ख़ास किसी का
इस बात की तुमको टीस क्यों
गिराया नहीं है तुमने ज़मीर अपना
है नहीं इस बात की खुशी क्यों।

12 Likes · 5 Comments · 2141 Views
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all

You may also like these posts

लोरी
लोरी
आकाश महेशपुरी
स्वीकारा है
स्वीकारा है
Dr. Mulla Adam Ali
*अजब है उसकी माया*
*अजब है उसकी माया*
Poonam Matia
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
सत्य
सत्य
Rajesh Kumar Kaurav
ये रात पहली जैसी नहीं
ये रात पहली जैसी नहीं
Befikr Lafz
जीवन  में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
Ajit Kumar "Karn"
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
पूर्वार्थ
मणिपुर कांड
मणिपुर कांड
Surinder blackpen
तुम यानी मैं
तुम यानी मैं
शिवम राव मणि
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
डॉ. दीपक बवेजा
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
फ़ायदा क्या है यूं वज़ाहत का,
Dr fauzia Naseem shad
3846.💐 *पूर्णिका* 💐
3846.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
तन की चाहत से ऊपर उठ कर
तन की चाहत से ऊपर उठ कर
Chitra Bisht
सुरूर छाया था मय का।
सुरूर छाया था मय का।
Kumar Kalhans
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"इच्छा"
Dr. Kishan tandon kranti
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
Manisha Manjari
मैं बूढ़ा नहीं
मैं बूढ़ा नहीं
Dr. Rajeev Jain
ईश्वर की व्यवस्था
ईश्वर की व्यवस्था
Sudhir srivastava
बाबा! बळ बुधि देवजौ, पट हिरदै रा खोल।
बाबा! बळ बुधि देवजौ, पट हिरदै रा खोल।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मुझको तो घर जाना है
मुझको तो घर जाना है
Karuna Goswami
_कामयाबी_
_कामयाबी_
Ritu chahar
माना कि हम सही तुम सही,
माना कि हम सही तुम सही,
श्याम सांवरा
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
श्रीकृष्ण शुक्ल
पानी पानी सींचे, सींचे अंतस की छाल ,
पानी पानी सींचे, सींचे अंतस की छाल ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्रदीप : श्री दिवाकर राही  का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
प्रदीप : श्री दिवाकर राही का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
Ravi Prakash
Loading...