चाचा नेहरू
बच्चों के नेहरु प्यारे चाचा
लाड़ लड़ाते दुलारे चाचा
बाल भाव में बह जाते थे
बच्चों में बच्चे बन जाते थे
जहाँ पर कहीं वो जाते थे
देखकर रुक वहीं जाते थे
बालभाषा खूब समझते थे
देखकर उन्हें खूब हँसते थे
बाल सखा वो बन जाते थे
बाल्यकाल में खो जाते थे
उम्र चाहे उनकी पचपन की
बातें करते थे वो बचपन की
फूल गुलाब पसंद करते थे
बच्चों को फूल समझते थे
जब होता उनका जन्मदिन
बच्चों संग मनाते जन्मदिन
प्रथम प्रधानमंत्री थे देश के
संतरी थे वो बालपरिवश के
उनकी थी यही अंतिम चाह
बच्चों की हो स्वर्णिम राह
जन्मदिन मनाए उस रूप में
केवल बालदिवस के रूप में
जग छोड़ विदा जब होए थे
बच्चें उस दिन बहुत रोए थे
बालप्रेम की एक मिशाल थे
बच्चों के वो सिरजनहार थे
दिल के सच्चे एक इंसान थे
बच्चों के दिल की जान थे
जब भी 14 नवंबर आता है
चाचा नेहरू याद आता है
जब तक सूरज चाँद रहेगा
चाचा नेहरू तेरा नाम रहेगा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत