चाकू
8कहानी – चाकू जो एक क्राइम कहानी हैं रील = 08
स्क्रिप्ट – रौशन राय का
शेखर ने ये कहा की अगर शादी के बाद भी वो नहीं सम्भली तो और शादी के बाद वो हमारे मां बाप को कष्ट दिया तो। प्रताप ने कहा की इन सारे बातों का उनसे लिखित ले लेंगे और लिखित देने के बाद यदि वो बहू और पत्नी की मर्यादा में नहीं रही तो हम उसे अपने हाथों से मार डालेंगे फिर जो होगा वो देखा जाएगा ये एक दोस्त का वादा हैं दोसरे दोस्त से। तों शेखर ने कहा की प्रताप तुमने मेरे उपर बहुत एहसान किया हैं और अपनी दोस्ती को जिन्दा रखने के लिए हां कर रहा हूं। अगर दोस्त ये तुम्हारा कोई चाल है तो हमारे परिवार का बर्बाद होने का समय आ गया जा तु अपने बहन को कह दें की मैं उनसे अकेले में मिलना चाहता हूं। दोनों दोस्त बात खत्म कर अपने अपने घर को गया। प्रताप घर पहुंचा तो देखा की मां ज्योति को डांट रही थी पुछने पर पता चला की वही बात है फिर प्रताप ने मां को शांत किया और कहा ज्योति तुम ने जो किया वह गलत नहीं महा गलत है। पर तुम किसीको जबरदस्ती ऐसे अपना बनाना चाहती हों कम से कम तुम्हें उनके मन कि भी तो जान लेना चाहिए की वो क्या चाहता है,हम किसी को बंदुक के नोक पर रखकर अपनाना चाहती हों, यदी वो डर के मारे तुम से शादी कर भी लें तो क्या वो तुम्हें सच्चा प्यार दें सकता है कभी नहीं। तो ज्योति बोली देखो तुम मेरे घाव पर नमक छिड़कने की बात मत करो मैं हर हाल में शेखर को अपना बनाउंगी चाहें अंजाम कुछ भी हो। तो प्रताप ने कहा की अगर मैं तुम्हारे तुम्हें उसे अपनाने से मना करु तो, तो क्या मैं इतना ही जानती हूं की शेखर को हमसे अलग कोई नहीं कर सकता और जो हमारे बीच में आएगा उसे मैं देख लूंगी। इस पर प्रताप ने कहा की तुम किसी भी हद से गुजर सकती हो, तो ज्योति बोली हां इसमें कोई संदेह नहीं और तुम जाओ मेरे दिल को और ना जलाओ की मेरे मुंह से सिर्फ आग ही निकलें। इस पर प्रताप बोला अगर तुम्हारे जले हुए दिल की घाव पर मरहम लगा दूं तो। तो क्या तुम ऐसा कर ही नहीं सकते तुम हम सिर्फ जला सकते हो एक भाई अपने बहन के खूशी के लिए क्या नहीं करता पर एक तुम भाई हों जो कभी हमें समझने की चेष्टा ही नहीं किया मैं ऐसा क्यों कर रही हूं ये तुम्हें बता सकती तो अब तक बात देती हमें भी पता है की हमारे वजह से सब लोग परेशान हैं अगर तुम सुनना ही चिहाते हो की मैं ऐसे क्यों करती हूं तो सुनो और भावुक हो गईं। इस पर प्रताप ने कहा तुम अपने कमरे में जाओ और मैं आ रहा हूं तुम से कुछ बात करने और उसका तुम्हें प्रुफ देना होगा। इस पर प्रताप की मम्मी पुछी ये ऐसे करती ही क्यों है। तो ज्योति बोली ये बात मैं सिर्फ शेखर को ही बताउंगी अब मुझे अकेले छोड़ दो। इस पर प्रताप बोला सारे परिवार को मुसीबत में डाल कर और कह रही है की मुझे अकेले छोड़ दो। अब तुम अपने कमरे में पहुंचो मुझे तुम से कुछ जरुर बात करनी है और वो बात करना है जो दोनों परिवार को मुसीबत से बचा सकता है। ज्योति अपने कमरे में पहुंची और प्रताप ने मां से कहा की अब हम सबकी भलाई इसी में है की ज्योति का विवाह शेखर से कर दो वर्णा दोनों परिवार को उजड़ने का वक्त आ गया है तुम्हारी बेटी और हमारी बहन के रुप में ये बहुत बड़ी मुसीबत है। तों मां भी वही स्वर अलापी जो शेखर आलाप रहा था गरीबी का तो प्रताप ने कहा ये बात हम नहीं जानते मां स्वयं शेखर नहीं जानता शेखर तो हमें अस्पष्ट शब्द में कह दिया की प्रताप हम तो तुम्हारे महबानी का मस्ताद हैं तो तुम्हारे बहन के बारे में कैसे सोच सकता हूं दोस्त जो सुख वो अपने यहां कर चुकी या कर रही है वो तो मैं उन्हें सपने में भी नहीं दे सकता उस में उस बेचारे का क्या दोष तो मां बोली तुम शेखर से पुछ लेता की ज्योति ऐसे क्यों करती हैं तो प्रताप ने कहा मां मैं सारे बात शेखर से पुछा पर वो अपने मां बाप का कसम खाकर कहा की मैं कुछ नहीं जानता की ज्योति ऐसे क्यों कर रही है। मां अगर सब बात ठीक हो गया और ज्योति ससुराल में ठीक से रहने लगी अपने सास ससुर का इज्जत करेंगी तो हम शेखर को कोई बिजनेस कर देंगे और कुछ पैसा भी दे देंगे ताकि उसका गरीबी खत्म हो जाएगा वर्णा सब कुछ तो बर्बाद होना तय है पर बेटा तुम्हारे बाबूजी मानेंगे हां मां तुम उसे मनाओगी नहीं तो इस उम्र में जेल तो जाना ही पड़ेगा। प्रताप के बातों को मां गौर से सुनकर बोली ठीक है बेटा पर शेखर और मां बाप मानेंगे तो प्रताप ने कहा ये सब आप मुझ पर छोड़ दिजिए फिर मां बोली ठीक है बेटा तुम जैसा ठीक समझो। मां की सहमति लेकर प्रताप ज्योति के कमरे पहुंचा बात करने लगा और बोला तुम जो ऐसे करती हो एकदम ठीक नहीं है ये तुम्हारे जीवन का भी बात है पर तुम समझ नही रहीं हो। तो ज्योति कहती हैं की तुम मुझे समझाने आएं हों तो मैं इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हूं की मैं शेखर को अपना बनाने की बात छोड़ दूं यदि तुम मुझे ये कहने आएं हों तो तुम अब जा सकतें हों इस पर प्रताप बोला यदि मैं तुम्हें ये कहने आया हु की शेखर तुम्हें मिलने को कहा है तो ये बात कहने से पहले मुझे ये बताओ तुम की इसकी क्या गरैंटी है की तुम शेखर को अपनाने के बाद शेखर को और उसके मां बाप का तू सब दिन मान सम्मान देती रहेगी इसका क्या ग्रैंटी हैं की तुम शेखर को पाने के बाद तुम उसे या फिर अपने परिवार को इस मुसीबत से निकाल लोगी, हो सकता है की ये तुम्हारी चाल हो। एक सास बहू ससुर बहु और पति पत्नी पर बहुत देर तक बात किया प्रताप ने अपने बहन से और ज्योति आज चुपचाप सुन रही थी। शायद ज्योति को ये महसूस हो गया की हो न हो भाई शेखर से हमारे बारे में बात की हों इसलिए तों आज भाई ये रिश्ता जोड़ बाली बातें कर रहा है अंत में ज्योति बोली भाई तुम्हें कभी किसी बात का शिकायत नहीं आएगा अगर शिकायत आया तो तुम हमें अपने हाथ से मार डाला ये लों तुम्हें मैं लिख के देती हूं और फटाफट लिखकर दे दी। प्रताप वो पेपर ले लिया इस पर ज्योति बोली की शेखर मुझे हर हाल में चाहिए। प्रताप सर हिलाया और कहा आज शाम को शेखर तुम्हें मिलने को और कुछ बातें करने को मंदिर वाले बागीचे में बुलाया है तुम शेखर से मिलने जरूर जाना वो तुम्हारा इंतज़ार करेगा और अपने बहन के कमरे से निकलते निकलते प्रताप अपने बहन से कहा अगर शेखर थोड़ा गुस्सा भी करें तो तुम शांत होकर शेखर का सुनना क्यों की हमारा दोस्त ने कभी हमें निराश नहीं किया भले हम उसका मदद पैसे से कभी काल कर देते हैं पर वो जो हमें और हमारे परिवार को दिया वो हम कभी नहीं दे पाएंगे अगर आज तु उसको जवाब नही दिया तों निश्चित वो शादी के लिए तैयार हो जाएगा। इस पर ज्योति बोली अगर वो पुछेगा की तुमने ऐसा क्यों किया तो मैं सिर्फ़ इस बात का जवाब दुंगी जो मैं आप लोगों से भी कहती हूं। और अगर शेखर मेरा बात सुन लिया तो वो भी मुझसे प्यार करने लगेगा और इसके आगे मैं एक शब्द नही बोलूंगी। प्रताप हूं कहके सर हिलाया और ज्योति के कमरे से बाहर निकल गया। अब ज्योति शाम का इंतजार खाक करती वो तो दोपहर को ही वहां पहुंच गई और मंदिर के करीब वाले बगीचे में और बेशबरी से शेखर के आने का इंतजार करने लगी एक घंटा में कम से कम पन्द्रह बार मोबाइल में समय देखती जिससे मोबाइल का बैटरी खत्म होने पर आ गया और साढ़े पांच बजे देखा की शेखर अपने सब दिन के कपड़े पहने उसके ओर चला आ रहा है और सोचने लगी की जिसको पाने के लिए मैं ने शर्म हया की बलि चढ़ा दी और दोनों परिवार को मुसीबत में डाल दिया वो हमारे सामने हम से मिलने हमारे ओर चला आ रहा है ज्योति को समझ में नहीं आ रहा था की वो शेखर से किस तरह बात का शुरुआत करेगी फिर सोची की मैं चुप रहूंगी और वो जो बोलेगा उसका सोच समझ कर जवाब दुंगी जैसा भाई ने कहा था। ज्योति का सोचना खत्म हुआ की शेखर उनके करीब पहुंच गया। ज्योति गुमसुम होके सर झुकाए खड़ी रही करीब पांच मिनट तक दोनों खामोश रहा उसके बाद शेखर ने कहा। तुम जो जबरदस्ती कर रही हो ये ठीक नहीं है। तुम्हारे चलते मेरे मां बाप यहां तक की तुम्हारे खुद का परिवार आज इतने बड़े मुसीबत में फस चुका है। क्या तुम्हें और दुनिया में लड़का नहीं मिला प्यार करने के लिए शेखर के मुंह में जो आया वो कहता गया और ज्योति चुपचाप सुनती रही फिर शेखर पुछा बता तुने ऐसा क्यों किया। ज्योति को इसी प्रश्न का इंतजार था ज्योति ने कहा देखो तुम्हारा गुस्सा जायज़ है पर तुम ये पुछो की हम ने ऐसा क्यों किया। शेखर हां मैं तुमसे पुछ रहा हूं की तुमने ऐसा क्यों किया। तो ज्योति ने कहा की तुम थोड़ा शांत हो कर सुनो की मैं ऐसा क्यों की। हां बताओ न की तुमने ऐसा क्यों की। तो ज्योति बोली तुम याद करो उस दिन को जब तुम हमारे घर दुसरे बारे आया था और फ्रेश होने के लिए वाश रूम के लिए आये और मैं जिस स्नान घर में नंगी नहा रही थी तुमने उसे ही वाशरूम समझ खोलकर तुम हमारे स्नान रुम में आ गया और मुझे पुरा नंगी देख लिया जैसे पत्नी को सिर्फ पति देखता है वैसे ही तुम ने मुझे देखा और मैं लाज के मारे मुंह से एक शब्द नही निकली। शेखर हम भी तुम्हारे इज्जत को सदा सम्भाल कर रखा और किसीको कुछ नहीं बताया यहां तक की मैं खुद उस दृश्य को भुल गया क्योंकि उसमें न तुम्हारा गलती था न हमारा। ज्योति पर तुमने हमारा बदन नंगी इज्जत को देख तो लिया। देख लिया तो क्या हुआ। तुमने देख लिया तो हुआ कुछ नहीं पर मैं तुम्हें अपना बनाना चाहती हूं तो गलत हो गया तुम मुझे कुछ भी समझो पर मैं अपने बदन को तुम्हारे सिवा किसी और को देखने नहीं दुंगी। तुम हम पर यकीन करों या ना करों हम पत्नी बहू का फर्ज को बहुत अच्छे तरह से निभाएंगे और तुम्हें कभी भी सिकायत का मौका नहीं देंगे। इस पर शेखर गुस्से से लाल होकर कहा इसका क्या ग्रैंटी हैं की तुम पत्नी और बहू का फर्ज ठीक से निभाएंगी। जो लड़की बेशर्म की तरह अपने वर स्वयं खोज ली वो आगे क्या करेंगी ये बात शायद भगवान को भी नहीं पता होगा। ज्योति देखो़ हम ये सब तुम्हें पाने के लिए किया और तुम्हें पाकर रहुंगी और जब तुम मुझे मिल जाओगे तो हम सब कुछ ठीक कर देंगे दोनों में बहुत देर तक बात बहस हुआ अंत में शेखर ने कहा अब हमारा और हमारे मां बाप के जीवन का डोर अब तुम्हारे हाथ में है तुम मुझे जीवन दोगी या फिर जहर भरा जीवन मैं नहीं जानता हूं की शादी के बाद मेरा और मेरे मां बाप का क्या होगा मेरा केरियर तो खत्म हो ही जाएगा मैं अपने मां बाप के सपने सकार करने के लिए जी तोड़ पढाई कर रहा था पर सब कुछ उल्टा हो गया। इस ज्योति ने कहा ये सब कुछ नहीं होगा न तुम्हारा केरियर खत्म होगा और ना ही तुम्हारे मां बाबूजी का सपना एक दिन तुम्हें हम पर गर्व होगा। शेखर ठीक है हम तुम पर भरोसा करके शादी करने के लिए तैयार हैं। ज्योति शरमा के सिमट गई और बोली मैं जा रही हूं और मुझे इंतज़ार रहेगा तुम्हारे आने का और दोनों परिवार में समझौता हुआ और शेखर बारात लेकर प्रताप के द्वार पर पहुंचा प्रताप के पुरे परिवार से बारात का भव्य स्वागत किया और विधी पुर्वक ज्योति और शेखर का विवाह हो गया और ज्योति अपने ससुराल आ गई। सुहागरात की तैयारी हुआ और वो पल भी आया की ज्योति शेखर का इंतजार कर रही थी और बहुत खुश थी वो शेखर को पाकर तभी दरवाज़े पर दस्तक हुआ और ज्योति का दिल धड़क उठा और वो स्नान वाले सीन से रोमांचित हो उठी की आज फिर शख्स साजन हैं पिया है। शेखर को अपने ओर आते देख एकदम बड़ी घुंघट डाल कर शर्मा कर एक एक मुर्ति बन गई और शेखर आकर ज्योति के बैठा कुछ देर सोचने लगा की उसको कैसे मैं वो सुख दुंगा जो ये मैके से करके आई है। ज्योति आंख बंद कर अपने घुंघट उठने की इंतजार कर रही थी की शेखर का हाथ पहले ज्योति के हाथ को स्पर्श किया तो ज्योति सिहर उठी और जैसे ही शेखर ने ज्योति का आधा घुंघट उठाया ही था की दरवाजे पर बड़ी जोर से दस्तक होने लगा की दोनों चौक गया की अब कौन आ गया। शेखर समझा कोई मजाक किया होगा और फिर घुंघट उठाने लगा की फिर दरवाजे पर दस्तक हुआ और शेखर आकर दरवाजा खोला तो सामने देखा की क्राइम ब्रांच के आॅफिसर आरोही राय और उनके साथ पांच छः पुलिस बाले शेखर आरोही राय को देख कर चौका और पुछा मैडम जी आप और इस समय।