चाकू
7कहानी – चाकू जो एक क्राइम कहानी हैं। रील-7
स्क्रिप्ट-रौशन राय का
शब्द बोला तों तेरा जवान खिंच लूंगा तु दोस्त हैं इसका ये मतलब थोड़े ही होता है की तु हमारे परिवार के सदस्य के बारे में कुछ भी बोले और मैं सुन लूंगा। शेखर फिर प्रताप से कहा देख प्रताप तु खां मअ खां गुस्सा हो रहा है इसमें हम सब की भलाई है तु मुझे गलत ना समझ और तु अपनी बहन से पुछ कर देख तो सही, तुम्हारे घर से मेरा मोबाइल चोरी हो जाना और फिर दो दिन के बाद मिल जाना। इतना सुनते ही प्रताप का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और शेखर का काॅलर पकड़ते हुए धक्का दिया और बोला चल तु अब हमारे घर से जा नहीं तो कुछ भी हो सकता है देख तु हमारे बहन को चोर और गुनेहगार बता रहा है ये हमसे बर्दाश्त के बाहर हैं तु अपना और मेरा भला चाहता है तो अभी इसी वक्त तु यहां से चला जा बरना हम दोनों में मारपीट होना तय है। शेखर फिर प्रताप को समझाते हुए कुछ कहना चाहा की इसी बीच प्रताप शेखर को एक थप्पड़ जड़ दिया और कहा कमने तु मेरी बहन के साथ हमारे पुरे परिवार को फंसाना चाहता है अभी निकल जा मेरे घर से वर्णा तुम्हें मार डालूंगा तुझे हर मुसिबत से बचाया स्कूल फिस भर दी तुम्हारे चलते हम दोनों भाई बहन अपने मां बाप से झुठ बोलकर पैसे लेते रहें और तुझे दोस्त बनाया आज तु हमें हमारी बहन को फंसाना चाहता है साले तु गरीब लोग सब कुछ से गरीब होता है प्रताप अब शेखर को बोलने का मौका ही नहीं दे रहा था अंत में शेखर प्रताप से मार खाकर वहां से अपने घर के लिए चल दिया। शेखर को थोड़ा भी अफसोस नहीं था की उसे वो दोस्त मारा जिन्होंने उसे हर वक्त काम आया शेखर तो प्रताप से मार खाकर आ गया पर अब प्रताप को चैन नहीं पड़ रहा था की यदि शेखर का कहा यदि सही निकल गया तो क्या होगा मैं उस दोस्त को मारा और गाली जिस दोस्त को मैंने खुद अपना बनाया था और वो हमारा हर बात को आज्ञा समझ कर मान लेता था वो चाहता तो हम पर भी हाथ उठा सकता था पर वो ऐसा नहीं क्या,शेखर का कहा बात तों ठीक है की हमारे बहन के दाहिने होंठ के ऊपर दो तील तों हैं चाहे कुछ भी हो एक बार तों बहन से पुछना जरुरी है प्रताप ने मां से पुछा की मां ज्योति कहा है तो मां बोली कहीं गई होगी आज कल कहा जाती हैं और क्या करती हैं कुछ भी पता नहीं चल रहा है क्यों क्या बात है नहीं वैसे ही उन से कुछ बात करना है
मां बोली अच्छा जब आएगी तो बात कर लेना अब तो प्रताप को हो रहा था की ज्योति कब आये और मैं उनसे पुछ लूं की ये सब जो क्राइम ब्रांच के आॅफिसर आरोही राय कह रही थी वह सच है या झूठ। बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद ज्योति आई प्रताप उनको फ्रेश होने दिया और प्रताप पहले अपने आप को शांत किया और अपने बहन ज्योति के पास गया और हंसी मजाक से उनका मन को टटोला की अभी इसका दिमाग ठंडा हैं या गर्म और बोला किया हाल समाचार हैं ज्योति आज कल घर पर बहुत कम रहती हों कही नौकरी पकड़ ली किया। ज्योति नही भाय बस अपने दोस्तों के साथ रहकर टाइम पास करती रहती हूं और मैं नौकरी क्यों करुं अपने पापा के पास रुपया कम हैं क्या, क्या बोली अपने पास नही सिर्फ मेरे पास पैसे की कमी नहीं है और इस सारा खजाना का मालिक मैं ही हूं और तु तो अपने खजाना पर जाएंगी ऐस करने, क्या कहा तुमने मैं इतना आसान से इस खजाना को छोड़ने वाली नहीं हूं और दोनों भाई बहन जोड़ जोड़ से हंसने लगे। प्रताप ने देखा की ज्योति का मुड अभी ठीक है अभी वो क्राइम ब्रांच के आॅफिसर आरोही राय वाली बात पुछना ठीक होगा। प्रताप ने अपने बहन ज्योति से कहा जोती एक बात तुम से पुछना था। तो ज्योति बोली पुछो तो प्रताप ने कहा की पहले तुम वादा करो की तुम सही सही बताओगी। फिर ज्योति ने कहा अगर वादा नहीं किया तो। तो क्या नही पुछेंगे और यहां से चलें जाएंगे और कुछ नहीं। ज्योति ने सोचा की भाई है ऐसे वैसा बात थोड़े ही पहुंचेगा और पुछ भी लिया तो मैं इनका बहन हूं ये हमेशा हमारा भला ही चाहेंगा और बोली हां मैं वादा करती हूं की तुम जो पुछोगें मैं उसका जवाब सही सही दुंगी। तो ठीक है ज्योति तुम ये बताओ की शेखर का मोबाइल उस दिन अपने घर से कौन लिया था और वो कैसे उनको फिर वापस कर दिया ऐसा प्रश्न प्रताप ने अपने बहन से पुछा। तो ज्योति ने कहा भाई तुम ये बात क्यों पुछ रहें हो। तो प्रताप ने कहा की ऐसा शेखर कह रहा था क्या वह सच कह रहा था। एक सेकेण्ड के लिए ज्योति के चेहरे का रंग उड़ गया पर वो अपने आप को सम्भालतें हुए बोली नही नही मैं भला क्यों उसका मोबाइल चुड़ा कर फिर वापस कर दुंगी। ज्योति मुझे लगा की तुम्हारे प्यार के इजहार पर जो वो इंकार कर दिया था और तुम उसको धमकी दें डाली थी पर वो तुम्हें समझाने की बहुत कोशिश किया पर तुम अपने जीध पर अड़ी रही इतना सुनते ही ज्योति का रंग सफेद हो गया। नहीं नही ऐसा कोई बात नहीं है भाई तुम मुझ पर बेकार का शक कर रहे हों वो हम दोनों भाई बहन में झगड़ा करवाना चाहता है। प्रताप हूं अच्छा चलो कोई बात नहीं अगर तुम्हारे ओर से कोई गलती हुआ है तो अभी बोलो ताकि बिगड़ने से पहले हम सब मिलकर उसे सुलझा लें बाद में एक की गलती कही पुरे परिवार को न भुगतना पड़ें। नहीं भाय नहीं ऐसा कोई बात नही है ज्योति ने कहा। पर प्रताप समझ गया की ज्योति झुठ बोल रही है। पर अभी साफ साफ कहना भाई बहन में झगड़ा करवा सकता है लेकिन ज्योति पर प्रताप पुरा ध्यान देना शुरू किया और कुछ देर के बाद ही ज्योति ने रीना के तिसरी लड़की रविना से बात कर रही थी की उसके भाई को उन पर शक हो गया है अब वो क्या करे ये बात प्रताप ने खुद अपने कानों से ज्योति को बात करते पकर लिया और उसके पास पहुंच कर मोबाइल छीन लिया और नंबर देख लिया और ज्योति को एक थप्पड़ जड़ दिया और कहा शेखर ठीक कह रहा था बता तुने ऐसा क्यों किया आज तुम्हारे वजह से सारा परिवार संकट में आने वाला है। बोल तुने ऐसा क्यों किया। तो ज्योति ने कहा की मैं शेखर से प्यार करती हूं और उसे अपनाना चाहती है। प्रताप फिर बोल पड़ा की उसने कहा न की उसके हैसियत नहीं है तुम से प्यार करने की वो अपना सच्चाई बता दिया और वो सिर्फ अपने किताब से प्यार करता है और तुम से नहीं और तुम्हारे कारण मैं ने अपने दोस्त को मारा और उसने मुझे कुछ कहा तक नहीं। ज्योति तुम्हें कुछ कहा या नहीं मैं नहीं जानती पर मैं उससे प्यार करती हूं इसलिए वो सिर्फ मेरा है और मेरा नहीं हो सकता तों मैं उसे ऐसे ही तंग करुंगी और उसे जेल भेज कर ही दम लूंगी ज्योति अपने उग्र रूप में आ गई दोनों भाई बहन में बहुत देर तक बहस हुआ तब प्रताप ने कहा की आने दें सारी बात मां और पापा को बताते हैं। ज्योति ने अति क्रोधित होकर कहा तुम किसी को भी कह दो यहां तक की पुलिस को कह दो, चाहें क्राइम ब्रांच वाले को बता दो अगर शेखर मेरा नहीं हुआ तो मैं उसे मिटा दुंगी चाहें मेरा जो हो या चाहे मुझे जो करना पड़े ज्योति आगे बोली हम भाई बहन आपस में बेकार का बहस करते हैं इससे अच्छा ये होगा भाई की शेखर को तुम मनाओं की वो मुझे और मेरे प्यार को अपना लें प्रताप तो ज्योति का भाषा सुन दंग रह गया और ज्योति अंत में ये तक बोल दी की शेखर का साथ देने बाले का भी वही अंजाम होगा जो मैं शेखर के लिए सोचकर रखीं हूं और आंधी तूफान की तरह कमरे से बाहर निकल गई। अब प्रताप क्या करें इधर वो अपने बहन का रुप देख लिया और इधर अपने दोस्त के बारे में सोचकर परेशान होने लगा की मैं ने शेखर के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया अब कैसे अपने दोस्त को वो मनाएं और मन में सोच लिया की शेखर मुझे कुछ भी कहे पर वो शेखर से माफी मांगने जरुर जाएगा और सच्चाई बता देगा और अपने दोस्त को मनाने चल दिया और शेखर के घर पहुंचा तो शेखर की मां मिलीं तो प्रताप को बड़ा ब्याकुल देखा तो वो पुछ बैठी की बेटा प्रताप तुम्हें क्या हुआ। शेखर को भी देखा चोट लगा हुआ था और मैं शेखर से पुछी तो वो कहां की मां मां गीड़ गया था इसलिए ये चोट लग गया दो चार दिन में ठीक हो जाएगा पर तुम्हें क्या हुआ तुम इतने परेशान। शेखर की मां का बात सुनकर प्रताप समझ गया की शेखर अपने मां को ये नहीं बताया की मैंने ही शेखर को मारा था अब तो वो अपने दोस्त के लिए और तरप उठा। प्रताप ने कहा आंटी शेखर कहा है तो शेखर की मां बोली बेटा वो दवाई लेने गया है आता ही होगा तब तक शेखर पहुंच गया और सामने कुर्सी पर बैठा प्रताप को देखा प्रताप कुछ बोलता इससे पहले ही शेखर बोल पड़ा की अरे प्रताप तुम देख यार मैं गीड़ गया तुम होता तो मुझे जरूर थाम लेता अरे मां तुम प्रताप को कुछ पुछा की नही। मां बोली नहीं बेटा अभी तो प्रताप आ ही रहा है और मां इसका हाल चाल लेने लगी ठीक है मां अब तुम जाओ और प्रताप को बढ़िया चय पिला दो तब तक हम दोनों बात करते हैं की प्रताप को क्या हुआ ये इतना बेचैन क्यों है। मां ठीक है बेटा कहके अंदर चली गई और शेखर ने कहा कि कहो दोस्त कैसे परेशान हो। प्रताप ने सारी बात शेखर को बता दिया और शेखर से अपने किये पर माफी भी मांगा दोनों दोस्त बात को नाॅरमल करते हुए आगे बोलना चाहा की शेखर की मां चय लेकर आ गई। शेखर बोला की प्रताप अब तुही बता की हम दोनों का परिवार इस मुसिबत कैसे बचेगा। तो मां बोली कैसे मुसीबत बेटा इस पर प्रताप चुप रहा और शेखर बोल पड़ा उसी दिन वाला बात मां वो जो क्राइम ब्रांच वाले आये थे तो मां कहती है की तुम लोग ने कोई ग़लत काम किया है किया। शेखर नहीं मां हम दोनों कोई गलत काम नहीं किए हैं पर अभी तो हम दोनों उस क्राइम ब्रांच के आॅफिसर आरोही राय के नजर में तो है और जब तक उनका काम पुरा नही होगा तब तक तो अपना और प्रताप का परिवार मुसीबत में हैं न। मां बोली हां बेटा तो तुम लोग अब क्या करोगे। इस पर शेखर कहा हमें कुछ नहीं करना है करना यही है की जैसे वो आॅफिसर आरोही राय कहेगी हम दोनों को वैसे ही करना पड़ेगा वर्णा कोई रास्ता नहीं है प्रताप चुप चाप मां बेटे की बात सुन रहा था और मन ही मन सोच रहा था की हमारे ही बहन के कारण ये सब हुआ है। फिर मां बोली बेटा अगर वो सब किसी गलत काम में तुम दोनों को फसा दिया तो। शेखर कहता है की मां अभी तुम इतने दुर तक का मत सोचो जो होगा वो देखा जाएगा। बातों बातों में तीनों जन चय खत्म किया और शेखर बोला चल प्रताप थोड़ा बाजु के बगीचे से घुम आते हैं ताकि मूड थोड़ा फ्रेश हो मां से आज्ञा लेकर दोनों घर से बाहर निकल आया और शेखर बोला की प्रताप इस मुसीबत से छुटने का कौन सा उपाय ढूंढे तो प्रताप ने कहा की यार एक उपाय तो है पर तु मानेगा तो हो सकता है तो शेखर ने कहा की हां प्रताप तुम बोलो की मुझे क्या करना होगा जो हम दोनों का परिवार इस मुसिबत से बच सकता है। तो प्रताप ने कहा की तुम ज्योति से शादी कर लों। ये सुनकर शेखर छुब्द हो गया की शेखर ये क्या बोल रहा है। अरे प्रताप ये तुम क्या बोल रहा है तुम्हें सब कुछ पता है और तुम देख रहा है की मेरा स्थिति क्या है कभी कभी तुम मेरा स्कूल फीस जमा कर देता है और अभी वैसे शादी का उम्र भी नहीं हुआ है। फिर भी तुम शादी करने को कह रहा। प्रताप ने कहा की अगर तुम ज्योति को नहीं मिला तो वो खुद तो बर्बाद तो हो ही जाएगी पर वो दोनों परिवार को बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ेगी वो ही ये सब कर रही है वो भी सिर्फ और सिर्फ तुम्हें पाने के लिए। शेखर यार मुझे अभी पढ़ाई करके बहुत कुछ करना है मैं अपने मां बाप को भी सुख देना चाहता हूं उनके बहुत से सपने हैं जिसे मुझे पुरा करना है और तु मुझे शादी करने के लिए कह रहा है मैं अपने मां बाप को कैसे कहूं की इस तरह की बात है और इस मुसीबत का जड़ तुम्हारी बहन है और वो भी ऐसे की सिर्फ हमें पाने के लिए नहीं दोस्त ये हमसे नहीं होगा। फिर प्रताप ने कहा शेखर आज जिस ढंग से ज्योति ने मुझसे बात की इस हिसाब से ज्योति कुछ भी कर जाने को तैयार है। शेखर को भी बड़ा आश्चर्य हुआ प्रताप की बात सुनकर की वो ऐसे कैसे कर सकती हैं। प्रताप आगे कहता है की तुमको पाने की रास्ते में अगर मैं रुकावट किया तो वो मुझे मिटा सकती है अगर तु ज्योति का नहीं हुआ तो वो तुम्हें किसी और का नहीं होने देगी। शेखर और प्रताप में बहुत देर तक बात हुआ अंत में