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23 Oct 2020 · 1 min read

चांद

उतर गए सारे दिलकश रंग दिन के आंगन से
रात के गोद में खेलतें है रंग मेरे काजल से

मैं वो इनसा नहीं जिसे देखा गया था हंसते हुए
मैं वो हूं जो उदास आंसू मांग लाया था बादल से

शब ए बाम उसकी अंगुलियों खेलती हैं बदन से मेरी
समेट लाए है याद के सलमा सितारे अपनी आंचल में
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 277 Views
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