चांद
उतर गए सारे दिलकश रंग दिन के आंगन से
रात के गोद में खेलतें है रंग मेरे काजल से
मैं वो इनसा नहीं जिसे देखा गया था हंसते हुए
मैं वो हूं जो उदास आंसू मांग लाया था बादल से
शब ए बाम उसकी अंगुलियों खेलती हैं बदन से मेरी
समेट लाए है याद के सलमा सितारे अपनी आंचल में
~ सिद्धार्थ