चांद, मैं और वो
होठों पर हंसी-सी है!
आंखों में नमी-सी है!!
सबकुछ है वैसे पास मेरे
फिर भी कुछ कमी-सी है!!
वह जिसे-ग़ैर के साथ
जाते हुए तुम-देख रहे!
और क्या कहूं, ऐ चांद
मेरी ज़िंदगी-सी है!!
Shekhar Chandra Mitra
होठों पर हंसी-सी है!
आंखों में नमी-सी है!!
सबकुछ है वैसे पास मेरे
फिर भी कुछ कमी-सी है!!
वह जिसे-ग़ैर के साथ
जाते हुए तुम-देख रहे!
और क्या कहूं, ऐ चांद
मेरी ज़िंदगी-सी है!!
Shekhar Chandra Mitra