चांद का झूला
आओ तुम्हें चाँद पर झूला दूँ,
धवल बादल का बिस्तर बिछा दूँ।
आओ तुम्हें झूला झूला दूं।
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें।
प्रेम प्रीत में सबकुछ भूलें।
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें।
देखो बहार सावन ले आई
श्यामल घटा नभ में छाई
बर्खा फुहार लागे सुखदाई।
पूनम रजनी मन को लुभाई।
नीलम शर्मा