चांद का झूला
,आओ चांद का झूला हम झूलें।
दुनिया के रंजों ग़म हम भूलें।
गहरी घनी काली सी रात हो
बीच रात तारों की बरसात हो।
बातें करते रहे हम प्यार भरी
बिछड़ने की ना आते घड़ी।
उड़े बादलों संग लंबी परवाज़ हो
गीत जुबां पे ,टूटान कोई साज हो।
भूल जाये हम दुनिया के ग़म
हाथ तेरा कभी न छूटे सनम।
सुरिंदर कौर