# चांदनी#
ऐ चांद,
तेरे नूर से नहाई शफ्फाक़ चांदनी,
जब हर रात अपनी अदा बिखेरती है,
कहीं ना कहीं हर आशिक़ को
तुझसे रश्क़ तो जरूर होता होगा.
सितारों की इस सजी महफिल देखकर
ये दिल भी मचल गया है कुछ इस कद़र,
क्यूं न शब-ए-उल्फत में लिख दूं
इक प्यार की तहरीर मैं भी,
आरजू है कि कोई हमजुबां मिले ऐसा
जो माहताब सा खूबसूरत भले न हो,
पर असर ऐसा हो उसकी बातों में
कि उतर जाए लहू में नशा बनकर ।