चांदनी रात के खामोश तारे को पता है
चांदनी रात के खामोश तारे को पता है,
मेरी उलझनों, तन्हाइयो और अकेलेपन के बारे में।
कैसे जीती हूँ मै,उस अंधेरे में।
चांदनी रात के खामोश तारे को पता है….
मेरी जिंदगी का हर वो राज, जो निकला है आंसुओं में,
टिमटिमाते तारों के आगे।
और वो अकेलापन भी जो एहसास दिलाता है,
रिश्तों की आबाद दुनियां में भी, हरपल अकेले होने का।
ये खामोश तारे ही तो है जनाब,जो मेरी हर उलझन और एकाकीपन को किसी के सामने बयां नहीं करते।
और निभाते है एक सच्ची दोस्ती,
मेरी हर उलझन को लोगों से छुपाकर।।