चाँद
चाँद मशहूर है,
ज़माने में
जो हर रोज वादा खिलाफी करता है।
कभी रुप बदलता है।
तो कभी झरोखे में छिपता है।
पर क्यों न कोई ज़माने में
सूरज सा मिलता है।
जो हर शाम को वादा करता है।
और हर सुबह वापस लौट आता है।
चाँद मशहूर है,
ज़माने में
जो हर रोज वादा खिलाफी करता है।
कभी रुप बदलता है।
तो कभी झरोखे में छिपता है।
पर क्यों न कोई ज़माने में
सूरज सा मिलता है।
जो हर शाम को वादा करता है।
और हर सुबह वापस लौट आता है।