चाँद है तो शीतलता है
रात के अंधेरे में
मैंने पूछा चाँद से
कहाँ भटक रहे हो
चाँद कहा प्यार से
भटको को दिखाता
रहा हूँ राह
दिनभर की तपन से
दिला रहा हूँ राहत
युगल प्रेमियों के
प्यार का बन रहा हूँ
गवाह
बन बच्चों का
मामा लुभा रहा हूँ
अपनी बहनों को
करवाचोथ पर
बन प्रतीक
नारी के सुहाग को
देता हूँ खुशहाली
और क्या कहूँ मैं चाँद
झिलमिल सितारों की
बारात ले कर
चकौर निकल जाता है
मिलने अपनी चकौरी से
चाँद है तो रात है
आराम की सौगात है
चाँद है तो शीतलता है
जिन्दगी में गतिशीलता है
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल