चाँद से चेहरे का मुरीद हो गया
**चाँद से चेहरे का मुरीद हो गया**
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काली जुल्फों में दिल कैद हो गया
चाँद से चेहरे का मुरीद हो गया
सर्प सी बल खा रही पतली कमर
गोरे गोरे रुख़सार पर बर्बाद हो गया
हसीन वादियों सा है तेरा हुस्न
तुझे देख कर मैं आबाद हो गया
छम छम करती पायल की झंकार
सुन कर सीना फौलाद हो गया
हिरणी सी चाल के तो क्या कहने
चाल मस्तानी का बवाल हो गया
मनसीरत भोली सूरत मोह लिया
आँखों में ही संवाद हो गया
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)