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29 Nov 2016 · 1 min read

चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये

चाँद- सितारों में हैं क्या चर्चे चलकर देखा जाये
ज़मीं का आसमाँ से कभी दिल बदलकर देखा जाये

क़िताबी इल्म नहीं यारो तज़रबा अपना है मेरा
बेहतर है दुनियाँ को घर से निकलकर देखा जाये

वही धूप हवाएँ वही मिट्टी है उस घर में भी
इन बीच की दीवारों से उपर उठकर देखा जाये

झूठ नहीं ये सच कहेगा दिल हमेशा खुश रहेगा
आ ज़िंदगी के आईने में सँवरकर देखा जाये

मिलती हूँ जब भी पापा से तब तब जी में आता है
बच्चों की तरह क्यूँ ना आज मचलकर देखा जाये

यहाँ इनसां- इनसां को बनाया ज़िंदगी को ज़िंदगी
दर्द-ओ-गम को भी हमेशा मुस्कुराकर देखा जाये

अब कितनी बदलें चाल देखकर रास्तों के हाल’सरु’
इन राहों के हर मोड़ पर रुक- रुक कर देखा जाये

1 Comment · 285 Views
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