चाँद-सितारे
जग-मग करते चाँद सितारे ,सबको लगते कितने प्यारे।
रोज शाम को लिए चांदनी ,हँसते रहते नील गगन में।
ओढ़ काली रात का चादर ,चाँद उतर आया आंगन में।
ये प्रहरी बनकर जगते है ,जब सोते #धरती पर सारे।
जग-मग करते चाँद सितारे ……
ऊँच-नीच औ” जाति – पाति का ,नहीं जानता भेद भाव यह।
अमीर-गरीब का फर्क नहीं ,सबसे मिलता प्रेम-भाव यह।
ठिठुरते सर्द रातों में भी , हँसकर आते सबके द्वारे।
जग-मग करते चाँद सितारे ……
आओ नौनिहाल के मामा, सिलवा दूँगी सुंदर जामा।
दूर सफर पर लेकर जाना ,मिलकर करेंगे हंगामा।
जीवन के सपनों से वंचित ,दिखला देना सुखद नजारे।
जग-मग करते चाँद सितारे ,सबको लगते कितने प्यारे।
वेधा सिंह
कक्षा पांचवीं