Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2024 · 1 min read

चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।

चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।
चांदनी ने ही कुछ कहा होगा।

वो परेशां सी है की क्या होगा,
जब मेरा उस से सामना होगा।

आजकल मुस्कुरा रहा है वो,
दर्द तुझसे कोई मिला होगा।

यूँ नुमाइश न कर तू ज़ख्मों की,
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा।

ज़िन्दगी का ये मायना है बस,
एक पानी का बुलबुला होगा।

शह्र में दूर कुछ धुंआ सा है,
आशियां मेरा जल रहा होगा।

यूँ सरेआम मत हटा चिलमन,
वरना फिर कोई हादसा होगा।

साथ जीना है साथ मरना भी,
क़ौल किसका था ये पता होगा।

ख़ाक कर दे न, मेरी हस्ती को
अब न कोई मुझे गिला होगा।

इश्क में कब तलक है जलना यूँ,
इन “परिंदों” को सब पता होगा।

पंकज शर्मा “परिंदा”🕊

Language: Hindi
2 Comments · 45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं खुश होना भूल गया
मैं खुश होना भूल गया
शेखर सिंह
"सरताज"
Dr. Kishan tandon kranti
चलो रे काका वोट देने
चलो रे काका वोट देने
gurudeenverma198
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बात हद  से बढ़ानी नहीं चाहिए
बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
आर.एस. 'प्रीतम'
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
Subhash Singhai
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
प्यार
प्यार
Kanchan Khanna
माँ का प्यार
माँ का प्यार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर चला गया
दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर चला गया
Monika Arora
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
जिंदगी के रंगों को छू लेने की,
जिंदगी के रंगों को छू लेने की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आओ बाहर, देखो बाहर
आओ बाहर, देखो बाहर
जगदीश लववंशी
भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत क
भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत क
पूर्वार्थ
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
उतार देती हैं
उतार देती हैं
Dr fauzia Naseem shad
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
🙅आज का दोहा🙅
🙅आज का दोहा🙅
*प्रणय*
एक शकुन
एक शकुन
Swami Ganganiya
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
Phool gufran
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
एक अलग ही खुशी थी
एक अलग ही खुशी थी
Ankita Patel
बेटा
बेटा
अनिल "आदर्श"
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मां
मां
Dheerja Sharma
1. चाय
1. चाय
Rajeev Dutta
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...