चाँद महबूब नजर आए
**** चाँद महबूब नजर आए ****
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गोल गोल चाँद महबूब नजर आए
रोज रोज चाँद चितचोर नजर आए
काली घनी रात चाँदनी कर जाए
शीत,शांत और शालीन नजर आए
दिल में सोए सपनों को है जगाए
हाल और चाल बेहाल नजर आए
सुन्दरता से मयंक मुग्ध कर जाए
ठीक ठाक इन्सां लाचार नजर आए
देखके निर्मोही दिल भी दहक जाए
कौमुदी रजनी में शशि नजर आए
कहीं छलनी तो कहीं रोटी सा लगे
प्रेमी को चन्द्र प्रियतमा नजर आए
सुखविन्द्र प्रकृति रूप खूब निहारे
हर रंग में सुधांशु यार नजर आए
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)