चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन। चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन। विरह-विदग्धा यामिनी, व्यथा सुनेगा कौन ?।। © सीमा अग्रवाल