चाँद दिन में निकलने लगा है
मेरी कलम से …
चाँद दिन में निकलने लगा है
वो तो दिल में उतरने लगा है ।।
छा गया इश्क़ ए आसमां पे
खूब ही वो चमकने लगा है।।
दूज का तो कभी चौदहवीं का
खूब वो रंग बदलने लगा है ।।
मदहोशी के छाये है बादल
थोड़ा थोड़ा बहकने लगा है ।।
बन गया आज वो पूनम का
खूब अमृत टपकने लगा है ।।
“दिनेश”कवि