चाँद जब चमकता है,प्रियतम की याद दिलाता है —आर के रस्तोगी
चाँद जब चमकता है,प्रियतम की याद दिलाता है |
याद दिलाकर कभी कभी बादलो में छिप जाता है ||
विरहणी को ये तड़फाये,पास किसी के नहीं आता है |
अपनी ही मस्ती में ये ,आकाश में ही चलता जाता है ||
मेघो में पीछे ये छिप कर,ये आँख मिचोली करता है |
बिजली जब चमके नभ में,वह इससे काफी डरता है ||
घटता बढ़ता ये रोज,किसी दिन ये ऐसा भी करता है |
कभी किसी दिन ये आँखों को नहीं दिखाई पड़ता है ||
बच्चो का यह चंदा मामा,याद उनको भी आता है |
लाता नहीं ये खेल खिलौना यूही सबको बहकाता है ||
आर के रस्तोगी