चाँद को देखकर चाँद कहने लगा,
तरही गजल-
चाँद को देखकर चाँद कहने लगा,
ईद की ही तरह अब तु मिलने लगा,
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बेरुखी से हमें देख के चल दिये,
दिल उदासी के’ सूरज सा’ ढलने लगा,
आपकी बेरुखी अब न ये सह सका,
शख्स ये खुद ब खुद आज मरने लगा,
थी तङप मिलन की कुछ उसे इस तरह,
हर किनारा नदी संग चलने लगा,
जब मिला साथ तेरा न मुझको सनम,
रेत के महल सा मैं तो’ ढहने लगा,
आज सैलाब ऐसा है’ आया सुनो,
आंसुओं में सभी कुछ है’ बहने लगा।
पुष्प ठाकुर