चाँद की रखता तो वो है चाहत!
रदीफ़ .नही है क्या!
हो गया चुप बोलता नही है क्या
राज दिल के खोलता नही है क्या।।
थाम लेता एक दफा अगर दिल से
हाथ फिर वो छोड़ता नही है क्या।।
जाम आँखों से ही पिलाता पर
बहकने से रोकता नही है क्या।।
चाँद की रखता तो है वो चाहत
आसमां में खोजता नही है क्या।।
टूट तो उनका गया है दिल मगर
ये हुआ क्यों सोचता नही है क्या ।।
“दिनेश”