चाँदनी
गजल
*******
हर पल तू संग संग चली साथ चाँदनी
चली गई क्यूँ किसी ओर हाथ चाँदनी
बचपन में हर पल संग -संग खेली
बिंदियाँ बन ओर के सजी माथ चाँदनी
किशोर उम्र की बन साथी साथ रही
दूर छोड़ के क्यूँ गई मेरा साथ चाँदनी
घर द्वार सखा नैहर सब छूट गये
तू हो गई अपने पिय की नाथ चाँदनी
सुकोमल संंस्कारों को साथ लेकर चली
नयी रिश्तों की दुनियाँ की बनी पार्थ चाँदनी