चाँदनी
चाँदनी निखरती चाँद से ,
सितारे तो बस पहरा करते है
वजूद चाँदनी का चाँद से ,
बादल वेवजह मचला करते है
कर रही क्रीडायें मस्त हवायें
चाँद की बहकती चाँदनी में
पात वृक्ष के गिर गिर कर
शयन का तैयार बिछना करते है
बैठ कर हम धवल शरद चाँदनी
कुछ हास करे परिहास करे
गुफ्तगू कर एक दूजे से मिलन
प्यार भरी अभिलाष करे
चपल चन्द्र की चंचला रश्मियां
खेले जब थिरक जल थल में
ऐसे में आओ प्रियतम ,
अन्तस अपने प्रेम का उजास करे