चाँदनी रातें …..
लहरें चाँदनी में नहा कर हैं कुछ तो कहती
समुद्र की सत्ह के ऊपर कितना मुस्कुराती
नदिया कल-कल करती कुछ तो कहती
चाँद की चाँदनी है कितना ख़िल-ख़िलाती
चाँदनी रातें -हैं करतीं कुछ बातें
चकोरे की ध्वनि कोई गीत हैं गाती
कभी घटा घनघोर……करती है शौर
पत्तों की सरसराहट कहानी सुनाती
खिड़कियों से छन के आती हवा…..
मधुर सी कोई धुन गुन-गनातीं
भँवरे की गुंजन कहती है बहुत कुछ
कोई गीत-गीतिका रागिनी सुनाती
खिड़कियों से छन के आती हवा…..
मधुर सी कोई धुन गुन-गनाती
-राजेश्वर