चाँदनी रातें (विधाता छंद)
चाँदनी रातें (विधाता छंद)
सुहानी चाँदनी रातें, सभी का दिल लुभाती हैं।
सुरीले गीत मनमोहक, मधुर मादक सुनाती हैं।
गगन में चाँद तारों संग, क्रीड़ा कर के इठलाये।
कभी मेघों में छिप जाये, कभी थोड़ा सा इतराये।
सुगन्धित सौम्य सुरभित सी, बहे पावस पवन शीतल।
पड़े प्रतिबिम्ब सुधाकर का, लगे सुन्दर नदी का जल।
चमकती चाँदनी चंचल, चपल नदिया सी बहती है।
धरा के कान में अपने, हृदय की बात कहती है।
बुनें चाँद के धागों से, चलो मिल कर नए सपने।
जहाँ पूरे सफल होंगे, सभी अरमान अब अपने।
समय बीता विरह का अब, लो आयी चाँदनी रातें।
भुला कर सब गिले-शिकवे, करें हम प्यार की बातें।
स्वरचित
विवेक अग्रवाल ‘अवि’