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21 Nov 2022 · 1 min read

चाँदनी में नहाती रही रात भर

चाँदनी में नहाती रही रात भर
तारों में घर बनाती रही रात भर

नींद के गाँव में प्यार की छाँव में
ख़्वाब अपने सजाती रही रात भर

चाँद की रोशनी के तसव्वुर में मैं
दीप सी टिमटिमाती रही रात भर

याद करके बदलती रही करवटें
आँख भी छलछलाती रही रात भर

रात रानी की मानिन्द मजबूर थी
बस महक ही लुटाती रही रात पर

वक़्त रहता नहीं है सदा एक सा
दिल को बस यूँ मनाती रही रात भर

नींद आई नहीं फिर भी मैं ‘अर्चना’
लोरियाँ गुनगुनाती रही रात भर

डॉ अर्चना गुप्ता

3 Likes · 1 Comment · 207 Views
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