च़िराग
हम सब हवाओं के दोस पर रक्खे च़िराग हैंं ।
हवाओं का रुख़ न जाने कब बदल जाये ।
और ऱोशनी भरी श़ुआएँ अन्धेरों मेंं खो जाएँ ।
हम सब हवाओं के दोस पर रक्खे च़िराग हैंं ।
हवाओं का रुख़ न जाने कब बदल जाये ।
और ऱोशनी भरी श़ुआएँ अन्धेरों मेंं खो जाएँ ।