चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
10 – 8- 12 पर यति , अंत – ललगागा
(10- 8 की यति तुकांत अनिवार्य {मुक्तक}
जग का हर कंकर , बनता शंकर , उनकी ही सब माया |
लगते बैरागी , पर बड़भागी , जो जाने शिव काया |
देते संदेशा , हर परिवेशा , कभी नहीं यह भूलो –
है सत्य स्वरूपा , शिव है भूपा , उनकी मुझ पर छाया |
जो नर संसारी , दुनियादारी , करते है कटु घातें |
सब गुत्तमगुत्था , फोड़े मत्था , सार हीन सब बातें |
वह नहीं सुनेगें , राह चुनेगें , हों जिस पर कटु काँटें –
करवट बदलेगें , निपट रहेगें , काली पाकर रातें |
जगत में श्री राम , बनाते काम , करो आज मिल पूजा |
मिलता शुचि उजास, सभी को खास, और न सम्मुख दूजा |
खुद है हरियाली , लगते आली , करना वंदन जानो ~
आकर मन आँगन , करते पावन , प्राणों का बलबूजा |
दुनिया में आएँ, हर्ष मनाएँ, सबसे रखकर यारी |
मिले यहाँ मेला ,करने खेला, हँसें सभी नर नारी |
दौलत को बाँटे,रुचि से छाँटे, माने सब कुछ मेरा –
रखी रहे माया, छोड़ें काया आती है जब बारी |
सुभाष सिंघई