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18 Sep 2024 · 1 min read

चल रे कबीरा

चल रे कबीरा
चल यहां से
रेत के सारे
महल यहां के…
(१)
मूर्दों का एक
देश है यह
जल्दी से जल्दी
निकल यहां से…
(२)
छोड़कर निर्गुण
और मर्सिया
कब तक गाएगा
ग़ज़ल यहां पे…
(३)
एक-दूसरे की
भावनाओं को
लोग जाते हैं
कुचल यहां पे…
(४)
इससे पहले कि
गिरे औंधे मुंह
ठोकर खाकर
संभल यहां पे…
(५)
जाहिल तो
बदलने से रहे
अब ख़ुद को ही
बदल यहां पे…
(६)
तेरे मानव
बने रहने में
एक से एक
खलल यहां पे…
(७)
हुआ जा रहा
यह समाज
बद से बदतर
हर पल यहां पे…
#geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#kabir #nirgun #विद्रोही
#क्रांतिकारी #निर्गुण #सुधार
#कबीर_दास #Kabeer #कवि

Language: Hindi
Tag: गीत
70 Views

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