चल पड़ी है नफ़रत की बयार देखो
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले दुआओं से नवाजे,,,!!!
ग़ज़ल
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चल पड़ी है नफ़रत की बयार देखो,
बच सको, तुम बच लेना यार देखो।
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धर्म का झगड़ा,ला कर सड़कों पर,
है किया कैसे,लहूलुहान दयार देखो।
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चाहते हो मरना गर है मर्जी तुम्हारी,
हर कदम बैठे जल्लाद तैयार देखो।
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है फिक्र न उनको अब हमारी देखो,
मत ले,चलाऐ हम पर हत्यार देखो।
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चैन-अमन चुराया, सता के खातिर,
है दया गर तुम बन कर मयार देखो।
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है न सुकूं अब सता में शायर “जैदि”,
छोड़ कर नफ़रत कर के प्यार देखो।
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मायने:-
बयार:-हवा
दयार:-भूखंड,
मयार :-दयालु
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”