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29 Apr 2021 · 1 min read

चल चल चलते हैं — मनहरण घनाक्षरी

चल चल चलते हैं, यहां सब जलते हैं।
सपने जो पलते हैं ,और कहीं देखेंगे।।
प्रकृति की गोद होगी, काया निरोगी रहेगी।
रोगी है हम प्रीत के, धूप वहीं सैकेंगे।।
नदियों का नीर होगा प्यार का अबीर होगा।
प्यार ना अधीर होगा, रंग वही मलैंगे।।
लिखे प्रेम की कहानी,चल चल मेरी रानी।
छोड़े अपनी निशानी,प्रेमी सभी पड़ेंगे।।
राजेश व्यास अनुनय

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