चलो सथना चले उस ओर
चलो सजना चले उस ओर
********************
चलो सजना चले उस ओर
प्रेम बयार चले जिस ओर
अपने यहाँ पर छूट गए
रिश्ते – नाते यहाँ टूट गए
जहाँ प्यार की निकले भौर
चलो सजना चले उस ओर
पक्षी पिंजरा हैं तोड़ गए
साहिल यहाँ मुख मोड़ गए
जहाँ हो प्रेम घटा घन घोर
चलो सजना चले उस ओर
प्यार की चलती आँधी हो
पतवार साथ में मांझी हो
जहाँ तरणी चले जिस ओर
चलो सजना चले उस ओर
दिल के जहाँ पर सानी हो
बिकता जहाँ ना पानी हो
जहाँ अनुराग हो चहुं ओर
चलो सजना चले उस ओर
प्रीत की दुनिया प्यासी हो
जहाँ सुख दुख के साथी होंं
प्रेम राग मिलता जिस ओर
चलो सजना चले उस ओर
जहाँ नफरत ना बसती हो
जहाँ प्रेमियों की बस्ती हो
जहाँ स्नेह बरसे पुर जोर
चलो सजना चले उस ओर
जहाँ जन जन में प्रणय हो
दुनिया में नहीं प्रलय हो
खूशबू महकती जिस ओर
चलो सजनी चले उस ओर
जहाँ जन जन समन्वय हो
सुखविंद्र खुशियाँ मान्य हो
जहाँ चलता हो ऐसा दौर
चलो सजना चले उस ओर
चलो सजना चले उस ओर
प्रेम बयार चले जिस ओर
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)