चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
चलो मिलते हैं पहाड़ों में,एक खूबसूरत शाम से
देखेंगे दिन ढलते और,घूमेंगे तराइन के गांव में
जहां नूर की झुंड होगी,शम्मा की शोर होगी
डूबे रहेंगे खयालों में,हम नाचेंगे आबसारों में
चलो मिलते हैं पहाड़ों में
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होगी जन्नत जैसी दुनिया,वहां अलग ही रौनक होगी
थिरकेंगे पांव भी हमारे,भरी कहानियों से औराक होगी
नैना भी नए नजारे देखेंगे,जी भर गम की पत्थर फेकेंगे
ऐसा होगा ना नजारा सांसरों में,चलो मिलते हैं पहाड़ों में
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रंगत तो छाई रहेगी महफिल में,हम कहीं पाए जाएंगे गाफिल में
टूटते तारों पे अपना बिस्वास जमाएंगे,जो हुई हो ना खाब पूरे फिर से आजमाएंगे
कोई जख्म नया कुरेदकर अश्को की दरिया बनायेंग,उसी दरिया में कूदकर जिंदगी का जश्न मनाएंगे
कभी ऐसा मौका मिलेंगे नहीं हजारों में,चलो मिलते हैं पहाड़ों में
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