चलो फटे में टाँग अड़ाएँ
यार चलो नेता बन जाएँ
और फटे में टाँग अड़ाएँ
शेयर जैसे सुबह उछलकर,
लुढ़क शाम को नीचे आएँ
जंतर मंतर पर जा बैठें,
मूंगफली का भाव बढ़ाएँ
दिखे अगर बारूद कहीं, तो,
दूर बैठ उसको सुलगाएँ
कभी खाट पर कभी टाट पर,
इधर उधर चौपाल सजाएँ
कभी किसी के गम में जाकर,
मगरमच्छ से अश्रु बहाएँ
आये जब चुनाव का मौसम,
चंदा लेकर मौज उड़ाएँ