चलो पिता जी चलें उस ओर
चलो पिता जी चलें उस ओर।।
दूर जहां है धरा का छोर।।
संग आप और दोनों हम।
भूल जाएं जीवन दुर्दम ।
स्वप्न देश में रखें कदम।
अंगुली की तुम पकड़ो डोर।।
चलो पिता जी चलें उस ओर ।।
पहुँचे छोड़ दुनिया सारी ।
छुए गगन धरा वहां प्यारी।
टूटे ना यह यारी न्यारी।
संध्या छोड़ चुनेंगे भोर।।
चलो पिता जी चलें उस ओर ।।
कुछ ही दूर खड़ा है कल।
फिर तुम याद करोगे पल।
स्थितियां जाएंगी बदल।
समय की चाल बड़ी घनघोर।।
चलो पिता जी चलें उस ओर ।।
चलो रखें गगन पर पाँव ।
देखो बादलों का गाँव ।
मिले वहां सुखों की छाँव ।
नाचे झूम-झूम मन मोर ।।
चलो पिता जी चलें उस ओर ।।
।।मुक्ता शर्मा ।।