चलो दरिया किनारे
किया जब प्यार
दुनिया से भला
फिर क्यों डरें हम तुम
चलो दरिया किनारे बैठकर
बातें करें हम तुम
उन्हें चिंता नहीं
जाँ भी हमारी जाए तो जाए
तो फिर क्यों वास्ते उनके
यूँ घुट घुट कर मरें हम तुम
टिका ब्रह्मांड ही सारा
मोहब्बत करने वालों पर
नहीं गलती हुई कोई
क्यों हर्जाना भरें हम तुम
है सावन का महीना
बादलों में आओ छुप जाएँ
जुदाई की तपिश सहते हुए
कब तक बरें हम तुम
जमाने की भला कब तक
करे परवाह अब ‘संजय’
है अपनी ही बहुत पीड़ा
चलो बैठो हरें हम तुम
बरें-जलें