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24 Jan 2024 · 1 min read

चलो चलाए रेल।

सब मिल जुल कर खेलते, इक सुंदर सा खेल।
कांधे ऊपर हाथ रख, चलो चलाए रेल।

आगे हो सबसे बड़ा, छोटा पीछे खेल।
धीरे-धीरे सब चलो, करो न पेलम पेल।।

राधा इंजन बन गई, चल देती बिन तेल।
सब बच्चे डब्बा बने, कितनी सुंदर रेल।।

भीड़ बहुत भारी लगी, करते ठेलम ठेल।
बिना टिकट जो बैठता, उसको भेजूं जेल।।

बिन पटरी के दौड़ता, हम बच्चों का मेल।
धुआँ नहीं यह छोड़ती, देखो अपनी रेल।।

हाथ लगा कर होठ पर, छुक-छुक करती रेल।
जिसे नहीं है खेलना, घर जा पापड़ बेल। ।

वेधा सिंह

Language: Hindi
177 Views
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